दिल की रग़बत है जब आप ही की तरफ़

दिल की रग़बत है जब आप ही की तरफ़

किस लिए आँख उठती किसी की तरफ़

कैसी उलझन हे बाज़ी-गह-ए-शौक़ में

हम हैं इन की तरफ़ वो किसी की तरफ़

सिर्फ़ अश्क-ओ-तबस्सुम में उलझे रहे

हम ने देखा नहीं ज़िंदगी की तरफ़

हम जो ग़ोल-ए-बायाबाँ से वाक़िफ़ नहीं

चल दिए दूर की रौशनी की तरफ़

दैर-ओ-काबा से प्यासी जबीनें लिए

आ गए हम तिरी बंदगी की तरफ़

रात ढलते जब उन का ख़याल आ गया

टुकटुकी बंध गई चाँदनी की तरफ़

जब न क़स्द-ए-ख़ुदी के दरीचे खुले

अहल-ए-दिल हो लिए बे-ख़ुदी की तरफ़

हम ने दिल की लगी उन से की थी बयाँ

बात वो ले गए दिल-लगी की तरफ़

जादा-ए-आगही पर बड़ी भीड़ थी

सैकड़ों मुड़ गए गुमरही की तरफ़

हैं मिरे हल्क़ा-ए-इल्म में बिल-यक़ीं

आसमाँ के पयाम आदमी की तरफ़

उन के जल्वों की जानिब नज़र उठ गई

मौज थी बढ़ गई चाँदनी की तरफ़

कौन सा जुर्म है क्या सितम हो गया

आँख अगर उठ गई आप ही की तरफ़

जाने वो मुल्तफ़ित हूँ किधर बज़्म में

आँसुओं की तरफ़ या हँसी की तरफ़

उस के पिंदार-ए-ख़ुद-आगही पर न जा

देख इंसाँ की बेचारगी की तरफ़

अपने माहौल में क्यूँ अँधेरा करें

देर तक देख कर रौशनी की तरफ़

मौत की राह आसान हो जाएगी

प्यार से देखिए ज़िंदगी की तरफ़

हम जुनूँ-मंद भी इतने वाक़िफ़ तो हैं

अक़्ल का रुख़ है वारफ़्तगी की तरफ़

शाइरी की किसी मंज़िल-ए-दर्द में

इक दरीचा है पैग़म्बरी की तरफ़

जाने आँखों ने आँखों से क्या कुछ कहा

ज़िंदगी झुक गई ज़िंदगी की तरफ़

'दानिश' इंकार ख़ालिक़ से होता नहीं

देखता हूँ मैं जब आदमी की तरफ़

(1451) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Dil Ki Raghbat Hai Jab Aap Hi Ki Taraf In Hindi By Famous Poet Ehsan Danish. Dil Ki Raghbat Hai Jab Aap Hi Ki Taraf is written by Ehsan Danish. Complete Poem Dil Ki Raghbat Hai Jab Aap Hi Ki Taraf in Hindi by Ehsan Danish. Download free Dil Ki Raghbat Hai Jab Aap Hi Ki Taraf Poem for Youth in PDF. Dil Ki Raghbat Hai Jab Aap Hi Ki Taraf is a Poem on Inspiration for young students. Share Dil Ki Raghbat Hai Jab Aap Hi Ki Taraf with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.