तेरा ही हो के जो रह जाऊँ तो फिर क्या होगा
ऐ जुनूँ और हैं दुनिया में बहुत काम मुझे
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न जाने हार है या जीत क्या है
देख कर जादा-ए-हस्ती पे सुबुक-गाम मुझे
बीमारी की ख़बर
तुझे पसंद जो दिल की लगन नहीं आई
क्यूँ यूरिश-ए-तरब में भी ग़म याद आ गए
कुछ मिरे शौक़ ने दर-पर्दा कहा हो जैसे
गया था बज़्म-ए-मोहब्बत में ख़ाली जाम लिए
गुलशन-ए-दिल में मिले अक़्ल के सहरा में मिले
डर डर के जिसे मैं सुन रहा हूँ
वादी-ए-शब में उजालों का गुज़र हो कैसे
दिल ने चुपके से कहा कोशिश-ए-नाकाम के बाद
मैं समझता हूँ मुझे दौलत-ए-कौनैन मिली