आदमी बुलबुला है पानी का
और पानी की बहती सतहा पर
टूटता भी है डूबता भी है
फिर उभरता है, फिर से बहता है
न समुंदर निगल सका इस को
न तवारीख़ तोड़ पाई है
वक़्त की हथेली पर बहता
Gulzar
Rahat Indori
Jaun Eliya
Allama Iqbal
Anwar Masood
Ahmad Faraz
Mohsin Naqvi
Javed Akhtar
Faiz Ahmad Faiz
Habib Jalib
Wasi Shah
Mir Taqi Mir
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(2569) Peoples Rate This
एक दौर
सहमा सहमा डरा सा रहता है
सीलन
इमेजेज़
उर्दू ज़बाँ
गर्म लाशें गिरीं फ़सीलों से
विरासत
ज़िंदगी पर भी कोई ज़ोर नहीं
कहीं तो गर्द उड़े या कहीं ग़ुबार दिखे
बर्फ़ पिघलेगी
देखो आहिस्ता चलो
किताबें