बेकल बेकल रहते हो पर महफ़िल के आदाब के साथ
आँख चुरा कर देख भी लेते भोले भी बन जाते हो
Anwar Masood
Wasi Shah
Habib Jalib
Javed Akhtar
Parveen Shakir
Jaun Eliya
Mohsin Naqvi
Ahmad Faraz
Faiz Ahmad Faiz
Rahat Indori
Mir Taqi Mir
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इस शहर के लोगों पे ख़त्म सही ख़ु-तलअ'ती-ओ-गुल-पैरहनी
सब को दिल के दाग़ दिखाए एक तुझी को दिखा न सके
जब दहर के ग़म से अमाँ न मिली हम लोगों ने इश्क़ ईजाद किया
देख हमारी दीद के कारन कैसा क़ाबिल-ए-दीद हुआ
जल्वा-नुमाई बेपरवाई हाँ यही रीत जहाँ की है
कुछ दे इसे रुख़्सत कर
ये बातें झूटी बातें हैं
हक़ अच्छा पर उस के लिए कोई और मिरे तो और अच्छा
क्या धोका देने आओगी
कातिक का चाँद
घूम रहा है पीत का प्यासा
रात आ कर गुज़र भी जाती है