वाहिद मुतकल्लिम का हो जो मुंकिर
कछवा और ख़रगोश
ख़ाक नमनाक और ताबिंदा नुजूम
फ़ितरत के मुताबिक़ अगर इंसाँ ले काम
मुलम्मा की अँगूठी
मकशूफ़ हुआ कि दीद हैरानी है
थोड़ा थोड़ा मिल कर बहुत हो जाता है
ऐ बार-ए-ख़ुदा ये शोर-ओ-ग़ौग़ा क्या है
पन चक्की
बा-ईं हमा-सादगी है पुरकारी भी
मजमूआ-ए-ख़ार-ओ-गुल है ज़ेब-ए-गुलज़ार
बरसात