फ़ानी न कहो होता है कम इस का वक़ार
इंसान का होता है दवामी किरदार
मायूस हो क्यूँ वक़्त की ज़ुल्मत से कोई
हर रात से पैदा हैं सहर के आसार
Gulzar
Allama Iqbal
Jaun Eliya
Habib Jalib
Ahmad Faraz
Faiz Ahmad Faiz
Mir Taqi Mir
Anwar Masood
Mohsin Naqvi
Parveen Shakir
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मैं कौन यक़ीन-ए-बद-गुमानी हूँ मैं
सदियों मैं हवस-ख़ाना-ए-हस्ती में रहा
हर लहज़ा इधर और उधर देख लिया
कहते हैं 'रज़ा' कभी कहीं पहुँचा है
ले डूबेगी ख़ामोशी कोई दम हँस-बोल