असहाब ने पूछा जो नबी को देखा
आदम को अजब ख़ुदा ने रुत्बा बख़्शा
फ़ुर्सत कोई साअत न ज़माने से मिली
बादल आ के रो गए हाए ग़ज़ब
हर-चंद कि ख़स्ता ओ हज़ीं है आवाज़
ऐ मोमिनो फ़ातिमा का प्यारा शब्बीर
थे ज़ीस्त से अपनी हाथ धोए सज्जाद
क्यूँ-कर दिल-ए-ग़म-ज़दा न फ़रियाद करे
सोज़-ए-ग़म-ए-दूरी ने जला रक्खा है
मय-ख़ान-ए-कौसर का शराबी हूँ मैं
अब गर्म ख़बर मौत के आने की है
अश्कों में नहाओ तो जिगर ठंडे हों