इक याद रह गई है मगर वो भी कम नहीं
इक दर्द रह गया है सो रखना सँभाल कर
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ढूँडने में भी मज़ा आता है
ड्रैकुला
मुतमइन है वो बना कर दुनिया
बिना मुर्ग़े के पर झटकती हैं
रिश्वत-ख़ोर दहाई
ऐसा हुआ नहीं है पर ऐसा न हो कहीं
तिरा न मिलना अजब गुल खिला गया अब के
परिंदे दूर फ़ज़ाओं में खो गए 'अल्वी'
दिल का आईना हुआ जाता है धुँदला धुँदला
धूप में सब रंग गहरे हो गए
रात के मुँह पर उजाला चाहिए
सोते सोते अचानक गली डर गई