हम क्या जानें क़िस्सा क्या है हम ठहरे दीवाने लोग

हम क्या जानें क़िस्सा क्या है हम ठहरे दीवाने लोग

उस बस्ती के बाज़ारों में रोज़ कहें अफ़्साने लोग

यादों से बचना मुश्किल है उन को कैसे समझाएँ

हिज्र के इस सहरा तक हम को आते हैं समझाने लोग

कौन ये जाने दीवाने पर कैसी सख़्त गुज़रती है

आपस में कुछ कह कर हँसते हैं जाने पहचाने लोग

फिर सहरा से डर लगता है फिर शहरों की याद आई

फिर शायद आने वाले हैं ज़ंजीरें पहनाने लोग

हम तो दिल की वीरानी भी दिखलाते शरमाते हैं

हम को दिखलाने आते हैं ज़ेहनों के वीराने लोग

उस महफ़िल में प्यास की इज़्ज़त करने वाला होगा कौन

जिस महफ़िल में तोड़ रहे हों आँखों से पैमाने लोग

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In Hindi By Famous Poet Rahi Masoom Raza. is written by Rahi Masoom Raza. Complete Poem in Hindi by Rahi Masoom Raza. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.