जो निहायत मेहरबाँ है और निहाँ रक्खा गया

जो निहायत मेहरबाँ है और निहाँ रक्खा गया

माँ की सूरत में उसी का तर्जुमाँ रक्खा गया

इन किनारों से किनारे हो न पाए हम-कनार

ख़ाम मिट्टी के घड़े को राज़-दाँ रक्खा गया

हिज्र को इस वास्ते शोहरत ज़ियादा मिल गई

आरज़ू-ए-वस्ल को बे-हद गिराँ रक्खा गया

ख़ाक से उठ कर कहीं आबाद होना है हमें

इस लिए इतना कुशादा आसमाँ रक्खा गया

लग नहीं सकती है 'रख़्शंदा-नवेद' उस के गले

ख़ुद मिरे पत्थर बदन को दरमियाँ रक्खा गया

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In Hindi By Famous Poet Rakhshanda Naved. is written by Rakhshanda Naved. Complete Poem in Hindi by Rakhshanda Naved. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.