मुझे मिली है अगर इन्फ़िरादियत की सनद

मुझे मिली है अगर इन्फ़िरादियत की सनद

बचा के लाया हूँ अपनी सलाहियत की सनद

भुला दिए हैं अलिफ़-लैलवी सभी क़िस्से

ग़ज़ल ने जब से मुझे दी जदीदियत की सनद

परेशाँ-हाल है हर शख़्स इस ज़माने में

मिली है किस को यहाँ ख़ैर-ओ-आफ़ियत की सनद

था अपने शहर में मुद्दत से अजनबी की तरह

जनाब मुझ को मिली आज शहरियत की सनद

तुम एक अहल-ए-सुख़न हो अदब के तारे हो

तुम अपने अहद से लो अपनी अहमियत की सनद

ख़ुदा का शुक्र है ए 'राम' इस ज़माने में

मैं ज़िंदा हूँ है यही मेरी ख़ैरियत की सनद

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In Hindi By Famous Poet Ram Daas. is written by Ram Daas. Complete Poem in Hindi by Ram Daas. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.