सर-ब-सर शाख़-ए-दिल हरी रहेगी

सर-ब-सर शाख़-ए-दिल हरी रहेगी

ता-अबद आँख में तरी रहेगी

मैं ने क़िस्सा ही पाक कर डाला

इश्क़ होगा न ख़ुद-सरी रहेगी

अक्स बनते रहेंगे पेश-ए-नज़र

सूरत-ए-आईना-गरी रहेगी

सत्र-दर-सत्र ख़ूँ जलाया है

लफ़्ज़ में रौशनी भरी रहेगी

ख़ामुशी ओढ़ ली दरख़्तों ने

आरज़ू-ए-सुख़न-वरी रहेगी

कोई मंज़िल तलाश ली जाए

अब कहाँ तक ये बे-घरी रहेगी

बाग़ में है क़याम का मौक़ा

सब परिंदों से दिलबरी रहेगी

क्या हमेशा भटकना है मुझ को

क्या हमेशा सुबुक-सरी रहेगी

ज़िंदगी से डरी रहूँगी मैं

ज़िंदगी साए से डरी रहेगी

चाँद अगर डूब भी गया 'माहीन'

ताक़ पर चाँदनी धरी रहेगी

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In Hindi By Famous Poet Rasheeda Maheen Malik. is written by Rasheeda Maheen Malik. Complete Poem in Hindi by Rasheeda Maheen Malik. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.