बे-इंतिहा होना है तो इस ख़ाक के हो जाओ

बे-इंतिहा होना है तो इस ख़ाक के हो जाओ

इम्काँ की मसाफ़त करो अफ़्लाक के हो जाओ

सब क़िस्सों को छोड़ो दिल-ए-सद-चाक के हो जाओ

इस दौर-ए-जुनूँ-ख़ेज़ में इदराक के हो जाओ

ख़ुशियों से कहाँ रब्त है हम को भी तुम्हें भी

आ जाओ इसी लम्हा-ए-नमनाक के हो जाओ

इस बाग़ में शमशीर-ए-हवा से न बचोगे

ख़ुश रंग हो जाओ किसी पोशाक के हो जाओ

बे-ज़ाएक़ा होने से यही ज़ाइक़ा अच्छा

अश्जार से उतरो ख़स-ओ-ख़ाशाक के हो जाओ

सर-पोशी का फ़न हाथों को सिखलाओ वगरना

बे-आँख के बे-कान के बे-नाक के हो जाओ

'शहपर' की तरह ख़ाक से उड़ते ही फिरोगे

बनना है तो बस जाओ किसी चाक के हो जाओ

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In Hindi By Famous Poet Shehpar Rasool. is written by Shehpar Rasool. Complete Poem in Hindi by Shehpar Rasool. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.