ख़ुद को ख़ुद पर ही जो इफ़्शा कभी करना पड़ जाए

ख़ुद को ख़ुद पर ही जो इफ़्शा कभी करना पड़ जाए

जैसे जीने की बहुत चाह में मरना पड़ जाए

ऐसा इक वक़्त जब आता है तो क्या करते हो

दिल जो करना नहीं चाहे वही करना पड़ जाए

हो तो महताब के हम-रक़्स मगर ऐसा न हो

दामन-ए-चश्म सितारों ही से भरना पड़ जाए

जिस को देखा न कभी जिस की तमन्ना भी न की

पाँव उसी शहर के रस्ते पे जो धरना पड़ जाए

सूरत-ए-अश्क-ए-नदामत ही सही ऐ 'शहपर'

मेरी आँखों से कभी उस को गुज़रना पड़ जाए

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In Hindi By Famous Poet Shehpar Rasool. is written by Shehpar Rasool. Complete Poem in Hindi by Shehpar Rasool. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.