ठंडी है या गर्म हवा है

ठंडी है या गर्म हवा है

उस को क्या इस की पर्वा है

कितनी गहरी ख़ामोशी है

कितना गहरा सन्नाटा है

है दरपेश मसाफ़त कैसी

एक ज़माना हाँप रहा है

जंगल तो तय कर आए हैं

आगे इक सहरा पड़ता है

अगले पल किया जाने क्या हो

अब तो यही धड़का रहता है

कोई नहीं है साथ तुम्हारे

अपने ही क़दमों की सदा है

कौन है वो ख़ुश-क़िस्मत देखें

जिस को सब्र का अज्र मिला है

यार 'सुकून' शिकायत कैसी

तेरा अपना किया धरा है

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In Hindi By Famous Poet Sultan Sukoon. is written by Sultan Sukoon. Complete Poem in Hindi by Sultan Sukoon. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.