तेरी सूरत निगाहों में फिरती रहे इश्क़ तेरा सताए तो मैं क्या करूँ

तेरी सूरत निगाहों में फिरती रहे इश्क़ तेरा सताए तो मैं क्या करूँ

कोई इतना तो आ कर बता दे मुझे जब तिरी याद आए तो मैं क्या करूँ

मैं ने ख़ाक-ए-नशेमन को बोसे दिए और ये कह के भी दिल को समझा लिया

आशियाना बनाना मिरा काम था कोई बिजली गिराए तो मैं क्या करूँ

मैं ने माँगी थी ये मस्जिदों में दुआ मैं जिसे चाहता हूँ वो मुझ को मिले

जो मिरा फ़र्ज़ था मैं ने पूरा किया अब ख़ुदा ही न चाहे तो मैं क्या करूँ

शौक़ पीने का मुझ को ज़ियादा न था तर्क-ए-तौबा का कोई इरादा न था

मैं शराबी नहीं मुझ को तोहमत न दो वो नज़र से पिलाए तो मैं क्या करूँ

हुस्न और इश्क़ दोनों में तफ़रीक़ है पर इन्हीं दोनों पे मेरा ईमान है

गर ख़ुदा रूठ जाए तो सज्दे करूँ और सनम रूठ जाए तो मैं क्या करूँ

चश्म-ए-साक़ी से पीने को मैं जो गया पारसाई का मेरी भरम खुल गया

बन रहा है जहाँ में तमाशा मिरा होश मुझ को न आए तो मैं क्या करूँ

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In Hindi By Famous Poet Tabish Kanpuri. is written by Tabish Kanpuri. Complete Poem in Hindi by Tabish Kanpuri. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.