दुनिया-भर में जितने मंज़र अच्छे हैं
उन का हुस्न और शोर हवा का तेरे नाम
Faiz Ahmad Faiz
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Wasi Shah
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Gulzar
Parveen Shakir
Habib Jalib
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मिला था हिज्र के रस्ते में सुब्ह की मानिंद
ज़ख़्म कब का था दर्द उठा है अब
वो इस कमाल से खेला था इश्क़ की बाज़ी
जो मिल गया है यहाँ जल्वा-ए-ख़याली है
लब तक आया गिला हमेशा से
तिलिस्म-ए-इश्क़ था सब उस का साथ होने तक
तुम्हारी याद बढ़ी और दिल हुआ रौशन
वो जो दरिया के बीच रहता है
हर मुसाफ़िर के साथ आता है
मेरी आँखों में ख़्वाब हैं जिस के