तुझ में तो एक ख़ू-ए-जफ़ा और हो गई

तुझ में तो एक ख़ू-ए-जफ़ा और हो गई

मैं और हो गया न वफ़ा और हो गई

गुल का कहीं निशाँ है न बुलबुल का ज़िक्र है

दो रोज़ में चमन की हवा और हो गई

आमद की सुन के खोली थी बीमार-ए-ग़म ने आँख

तुम आ गए उमीदे-ए-शिफ़ा और हो गई

बिन्त-ए-इनब तो रिंदों को यूँही मुबाह थी

ज़ाहिद नज़र पड़ा तो रवा और हो गई

शक्ल-ए-कु़बूल हो के फिरी आसमान से

तासीर हो गई तो दुआ और हो गई

याद आ गई जो का'बे में आबरू की ऐ 'वहीद'

अपनी नमाज़-ए-इश्क़ अदा और हो गई

(541) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

In Hindi By Famous Poet Waheed Allahabadi. is written by Waheed Allahabadi. Complete Poem in Hindi by Waheed Allahabadi. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.