फ़रेब-ए-राह-ए-मोहब्बत का आसरा भी नहीं

फ़रेब-ए-राह-ए-मोहब्बत का आसरा भी नहीं

मैं जा रहा हूँ मगर कोई रास्ता भी नहीं

हर एक कहता है राह-ए-वफ़ा है ना-हमवार

मगर ख़ुलूस से इक आदमी चला भी नहीं

किसी के एक इशारे पे दो-जहाँ रक़्साँ

मिरे लिए मिरी ज़ंजीर की सदा भी नहीं

अजीब तुर्फ़गी-ए-शौक़ है कि सू-ए-अदम

गई है ख़ल्क़ मगर कोई नक़्श-ए-पा भी नहीं

ये ठीक है कि वफ़ा से नहीं लगाव उसे

मगर सितम तो यही है कि बेवफ़ा भी नहीं

कोई मक़ाम हो इक आसरा तो होता है

वो यूँ बदल गए जैसे मिरा ख़ुदा भी नहीं

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In Hindi By Famous Poet Waheed-ul-Hasan Hashmi. is written by Waheed-ul-Hasan Hashmi. Complete Poem in Hindi by Waheed-ul-Hasan Hashmi. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.