कौन ये रौशनी को समझाए

कौन ये रौशनी को समझाए

साथ देते नहीं कभी साए

राज़ खुल जाए फिर वो राज़ कहाँ

बात ही क्या जो लब पे आ जाए

घर हमेशा ही बे-चराग़ रहा

दाग़ सीने के लौ न दे पाए

चाँदनी खल रही है उन की तरह

गुज़रे लम्हात कितने याद आए

तिरे कूचे में सुब्ह-दम अक्सर

देख कर फूल हम को शरमाए

धूप में मेरे साथ चलते हैं

उन की पलकों के दिल-नशीं साए

हम सुकूँ की तलाश में आख़िर

तेरे कूचे में फिर चले आए

रोज़ जाता हूँ मय-कदे की तरफ़

काश ये दिल कभी बहल जाए

अब ख़राबात में वो रिंद कहाँ

शब गए सुब्ह की ख़बर लाए

बू-ए-मय से महक रहा है दिमाग़

बू-ए-गुल की हवस निकल जाए

मय-कदा वक़्त ही पे खुलता है

'वज्द' बे-वक़्त क्यूँ चले आए

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In Hindi By Famous Poet Wajd Chughtai. is written by Wajd Chughtai. Complete Poem in Hindi by Wajd Chughtai. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.