दम-ए-विसाल ये हसरत रही रही न रही

दम-ए-विसाल ये हसरत रही रही न रही

जमाल-ए-यार की हैरत रही रही न रही

उसे ये नाज़ था ख़ुद पर कि ज़िंदगी है मिरी

सो ज़िंदगी की हक़ीक़त रही रही न रही

कमाल कर के दिखाया है मेरी आँखों ने

अब इन में पहली सी वहशत रही रही न रही

लगा हुआ है ज़माना इसी तजस्सुस में

वो मेरे पहलू की ज़ीनत रही रही न रही

कोई भी रब्त मगर दाइमी नहीं होता

किसी के हक़ में तबीअ'त रही रही न रही

हज़ारों यार हज़ारों ही चाहने वाले

मगर नसीब में ख़ल्वत रही रही न रही

है कैसा ज़ोर का तूफ़ाँ बचें बचें न बचें

रही रही न रही छत रही रही न रही

यूँ अपने जज़्ब में गुम हो गया है अब 'सानी'

शराब-ओ-मय की ज़रूरत रही रही न रही

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In Hindi By Famous Poet Wajeeh Sani. is written by Wajeeh Sani. Complete Poem in Hindi by Wajeeh Sani. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.