अगर मैं मोजज़े को ख़ाकसारी के अयाँ करता

अगर मैं मोजज़े को ख़ाकसारी के अयाँ करता

बगूले सा बना और ही ज़मीं ओ आसमाँ करता

मुझे हक़ गुलशन-ए-ईजाद का गर बाग़बाँ करता

तो अश्क-ए-बुलबुलों को आबयार-ए-गुलिस्ताँ करता

गिला दिल-सख़्ती-ए-अहबाब का गर मैं बयाँ करता

सदफ़ सा पल में आँसू उक़्दा-ए-दिल के रवाँ करता

जो दीवान-ए-क़ज़ा की पेशकारी हक़ मुझे देता

तो रेशे सर्व के मिज़्गान-ए-चश्म-ए-क़ुमरियाँ करता

ख़ुदा गर ख़ाना सामान-ए-क़ज़ा करता ये 'उज़लत' को

तो परवानों की राख ऐ शम्अ सुब्ह-ए-आसमाँ करता

(536) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

In Hindi By Famous Poet Wali Uzlat. is written by Wali Uzlat. Complete Poem in Hindi by Wali Uzlat. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.