हवा बदल गई उस बेवफ़ा के होने से

हवा बदल गई उस बेवफ़ा के होने से

वगरना ख़ल्क़ तो ख़ुश थी ख़ुदा के होने से

ख़बर नहीं मुझे मतलूब और क्या है कि मैं

ज़्यादा ख़ुश नहीं अर्ज़ ओ समा के होने से

हमेशा बर-सर-ए-पैकार हूँ कहीं न कहीं

मुझे इलाक़ा नहीं बच-बचा के होने से

ये शोला दिल से अलग हो के भी निकल आया

कुछ आग फैल गई है हवा के होने से

ये शहर कुछ भी मज़ाफ़ात के बग़ैर नहीं

वजूद अस्ल में है मावरा के होने से

जुदाई छोड़ती रहती है वस्ल की ख़ुशबू

मैं ज़िंदा रहता हूँ अक्सर क़ज़ा के होने से

मैं पुर्ज़ा पुर्ज़ा पड़ा हूँ जहाँ-तहाँ हर सम्त

ख़फ़ा सभी हैं मिरे जा-ब-जा के होने से

ज़रूरतें ही मिरी हो नहीं रहीं पूरी

रुका है क़ाफ़िला इक बे-नवा के होने से

जो रह गई है ये एक आँच की कसर तो 'ज़फ़र'

वो ज़र-गरी थी किसी कीमिया के होने से

(1043) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Hawa Badal Gai Us Bewafa Ke Hone Se In Hindi By Famous Poet Zafar Iqbal. Hawa Badal Gai Us Bewafa Ke Hone Se is written by Zafar Iqbal. Complete Poem Hawa Badal Gai Us Bewafa Ke Hone Se in Hindi by Zafar Iqbal. Download free Hawa Badal Gai Us Bewafa Ke Hone Se Poem for Youth in PDF. Hawa Badal Gai Us Bewafa Ke Hone Se is a Poem on Inspiration for young students. Share Hawa Badal Gai Us Bewafa Ke Hone Se with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.