मेरे सीने से ज़रा कान लगा कर देखो
साँस चलती है कि ज़ंजीर-ज़नी होती है
Jaun Eliya
Rahat Indori
Habib Jalib
Anwar Masood
Allama Iqbal
Gulzar
Ahmad Faraz
Mohsin Naqvi
Faiz Ahmad Faiz
Parveen Shakir
Wasi Shah
Javed Akhtar
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(2445) Peoples Rate This
वो आने वाला नहीं फिर भी आना चाहता है
मसरूफ़ हैं कुछ इतने कि हम कार-ए-मोहब्बत
मैं अपने आप में गहरा उतर गया शायद
ये अजब साअत-ए-रुख़्सत है कि डर लगता है
अभी तो घर में न बैठें कहो बुज़ुर्गों से
दिल दुखों के हिसार में आया
दे इसे भी फ़रोग़-ए-हुस्न की भीक
हर-चंद तिरी याद जुनूँ-ख़ेज़ बहुत है
मुझे रस्ता नहीं मिलता
पागल
एक मुद्दत से मिरी माँ नहीं सोई 'ताबिश'
बदन के चाक पर ज़र्फ़-ए-नुमू तय्यार करता हूँ