इक हसीं आँख के इशारे पर
क़ाफ़िले राह भूल जाते हैं
Wasi Shah
Anwar Masood
Habib Jalib
Jaun Eliya
Allama Iqbal
Mohsin Naqvi
Faiz Ahmad Faiz
Rahat Indori
Ahmad Faraz
Gulzar
Parveen Shakir
Mir Taqi Mir
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(2390) Peoples Rate This
ख़राबात-ए-मंज़िल गह-ए-कहकशाँ है
ऐ गदागर ख़ुदा का नाम न ले
मैं और उस ग़ुंचा-दहन की आरज़ू
हँस के बोला करो बुलाया करो
मशहूर इक सवाल किया था करीम ने
कितनी बे-साख़्ता ख़ता हूँ मैं
वो अबरू याद आते हैं वो मिज़्गाँ याद आते हैं
दिल अभी पूरी तरह टूटा नहीं
बस इस क़दर है ख़ुलासा मिरी कहानी का
भूली-बिसरी बातों से क्या तश्कील-ए-रूदाद करें
ये रोज़-मर्रा के कुछ वाक़िआत-ए-शादी-ओ-ग़म
आँखों से पिलाते रहो साग़र में न डालो