रख़्त-ए-सफ़र यूँही तो न बेकार ले चलो

रख़्त-ए-सफ़र यूँही तो न बेकार ले चलो

रस्ता है धूप का कोई दीवार ले चलो

ताक़त नहीं ज़बाँ में तो लिख ही लो दिल की बात

कोई तो साथ सूरत-ए-इज़हार ले चलो

देखूँ तो वो बदल के भला कैसा हो गया

मुझ को भी उस के सामने इस बार ले चलो

कब तक नदी की तह में उतारोगे कश्तियाँ

अब के तो हाथ में कोई पतवार ले चलो

पड़ती हैं दिल पे ग़म की अगर सिलवटें तो क्या

चेहरे पे तो ख़ुशी के कुछ आसार ले चलो

जितने भँवर कहोगे पहन लूँगा जिस्म पर

इक बार तो नदी के मुझे पार ले चलो

कुछ भी नहीं अगर तो हथेली पे जाँ सही

तोहफ़ा कोई तो उस के लिए यार ले चलो

(1007) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

RaKHt-e-safar Yunhi To Na Bekar Le Chalo In Hindi By Famous Poet Adeem Hashmi. RaKHt-e-safar Yunhi To Na Bekar Le Chalo is written by Adeem Hashmi. Complete Poem RaKHt-e-safar Yunhi To Na Bekar Le Chalo in Hindi by Adeem Hashmi. Download free RaKHt-e-safar Yunhi To Na Bekar Le Chalo Poem for Youth in PDF. RaKHt-e-safar Yunhi To Na Bekar Le Chalo is a Poem on Inspiration for young students. Share RaKHt-e-safar Yunhi To Na Bekar Le Chalo with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.