हाल हमारा पूछने वाले
क्या बतलाएँ सब अच्छा है
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बदल रहे हैं ज़माने के रंग क्या क्या देख
खिला रहेगा किसी याद के जज़ीरे पर
दुनिया से अलैहदगी का रास्ता
देखे कोई तअल्लुक़-ए-ख़ातिर के रंग भी
क़दम क़दम पे किसी इम्तिहाँ की ज़द में है
फ़िराक़ मौसम की चिलमनों से विसाल लम्हे चमक उठेंगे
सो अपने हाथ से दीं भी गया है दुनिया भी
दे रहे हैं जिस को तोपों की सलामी आदमी
मुनाफ़िक़त का निसाब पढ़ कर मोहब्बतों की किताब लिखना
घड़ी घड़ी उसे रोको घड़ी घड़ी समझाओ
गए मंज़रों से ये क्या उड़ा है निगाह में