ये क्या चीज़ तामीर करने चले हो
बिना-ए-मोहब्बत को वीरान कर के
Allama Iqbal
Parveen Shakir
Jaun Eliya
Habib Jalib
Mir Taqi Mir
Faiz Ahmad Faiz
Rahat Indori
Javed Akhtar
Mohsin Naqvi
Ahmad Faraz
Wasi Shah
Gulzar
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(1247) Peoples Rate This
अन-पढ़ गूँगे का रजज़
दिल-ए-बेताब के हमराह सफ़र में रहना
कितने में बनती है मोहर ऐसी
दिल आईना है मगर इक निगाह करने को
सुख की ख़ातिर दुख मत बेच
मुझ से बड़ा है मेरा हाल
मशग़ूल हैं सफ़ाई-ओ-तौसी-ए-दिल में हम
आख़िरुल-अम्र तिरी सम्त सफ़र करते हैं
एक तअस्सुर
अच्छी गुज़र रही है दिल-ए-ख़ुद-कफ़ील से
अजब सफ़र था अजब-तर मुसाफ़िरत मेरी
घर और बयाबाँ में कोई फ़र्क़ नहीं है