वो हो न सका अपना तो हम हो गए उस के
उस शख़्स की मर्ज़ी ही में ढाले हुए हम हैं
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दिन भर के झमेलों से बचा लाया था ख़ुद को
हंगाम-ए-शब-ओ-रोज़ में उलझा हुआ क्यूँ हूँ
दिल इक नई दुनिया-ए-मआनी से मिला है
इतना बे-नफ़अ नहीं उस से बिछड़ना मेरा
मैं अपनी प्यास में खोया रहा ख़बर न हुई
बहुत छोटा सा दिल और इस में इक छोटी सी ख़्वाहिश
तलाश अपनी ख़ुद अपने वजूद को खो कर
फिर याद उसे करने की फ़ुर्सत निकल आई
खुल कर तो वो मुझ से कभी मिलता ही नहीं है
दिल की जागीर में मेरा भी कोई हिस्सा रख
ज़ूमिंग