बअ'द मुद्दत ये जिला किस के हुनर ने बख़्शी
बअ'द मुद्दत मिरे आईने में चेहरे आए
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अपना बिगड़ा हुआ बनाव लिए
जान ले ले न ज़ब्त-ए-आह कहीं
जो है चश्मा उसे सराब करो
मिरे कुछ भी कहे को काटता है
हमें देखा न कर उड़ती नज़र से
बात बिगड़ी हुई बनी सी रही
हादसात अब के सफ़र में नए ढब से आए
और कुछ देर ग़म नज़र में रख
सम्त दुनिया के हम गए ही नहीं
ज़ेर-ए-लब रख छुपा के नाम उस का
कौन कहता है ठहर जाना है