मैं सारे फ़ासले तय कर चुका हूँ
ख़ुदी जो दरमियाँ थी दरमियाँ है
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हम जो टूटे हैं बता हार भला किस की हुई
अपना बिगड़ा हुआ बनाव लिए
मिरे कुछ भी कहे को काटता है
जो है चश्मा उसे सराब करो
ख़्वाब नद्दी सा गुज़र जाएगा
उतर जाता तो रुस्वाई बहुत होती
कौन कहता है ठहर जाना है
हुए हम बे-सर-ओ-सामान लेकिन
जान ले ले न ज़ब्त-ए-आह कहीं
बात बिगड़ी हुई बनी सी रही
मिले अब के तो रोए टूट कर हम