पत्थर के जिगर वालो ग़म में वो रवानी है

पत्थर के जिगर वालो ग़म में वो रवानी है

ख़ुद राह बना लेगा बहता हुआ पानी है

इक ज़ेहन-ए-परेशाँ में ख़्वाब-ए-ग़ज़लिस्ताँ है

पत्थर की हिफ़ाज़त में शीशे की जवानी है

दिल से जो छटे बादल तो आँख में सावन है

ठहरा हुआ दरिया है बहता हुआ पानी है

हम-रंग-ए-दिल-ए-पुर-ख़ूँ हर लाला-ए-सहराई

गेसू की तरह मुज़्तर अब रात की रानी है

जिस संग पे नज़रें कीं ख़ुर्शीद-ए-हक़ीक़त है

जिस चाँद से मुँह मोड़ा पत्थर की कहानी है

ऐ पीर-ए-ख़िरद-मंदाँ दिल की भी ज़रूरत है

ये शहर-ए-ग़ज़ालाँ है ये मुल्क-ए-जवानी है

ग़म वज्ह-ए-फ़िगार-ए-दिल ग़म वज्ह-ए-क़रार-ए-दिल

आँसू कभी शीशा है आँसू कभी पानी है

इस हौसला-ए-दिल पर हम ने भी कफ़न पहना

हँस कर कोई पूछेगा क्या जान गँवानी है

दिन तल्ख़ हक़ाएक़ के सहराओं का सूरज है

शब गेसु-ए-अफ़्साना यादों की कहानी है

वो हुस्न जिसे हम ने रुस्वा किया दुनिया में

नादीदा हक़ीक़त है ना-गुफ़्ता कहानी है

वो मिस्रा-ए-आवारा दीवानों पे भारी है

जिस में तिरे गेसू की बे-रब्त कहानी है

हम ख़ुशबू-ए-आवारा हम नूर-ए-परेशाँ हैं

ऐ 'बद्र' मुक़द्दर में आशुफ़्ता-बयानी है

(1612) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Patthar Ke Jigar Walo Gham Mein Wo Rawani Hai In Hindi By Famous Poet Bashir Badr. Patthar Ke Jigar Walo Gham Mein Wo Rawani Hai is written by Bashir Badr. Complete Poem Patthar Ke Jigar Walo Gham Mein Wo Rawani Hai in Hindi by Bashir Badr. Download free Patthar Ke Jigar Walo Gham Mein Wo Rawani Hai Poem for Youth in PDF. Patthar Ke Jigar Walo Gham Mein Wo Rawani Hai is a Poem on Inspiration for young students. Share Patthar Ke Jigar Walo Gham Mein Wo Rawani Hai with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.