कई सितारों को मैं जानता हूँ बचपन से
कहीं भी जाऊँ मिरे साथ साथ चलते हैं
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वो अपने घर चला गया अफ़्सोस मत करो
हाथ में चाँद जहाँ आया मुक़द्दर चमका
यहाँ लिबास की क़ीमत है आदमी की नहीं
यूँही बे-सबब न फिरा करो कोई शाम घर में रहा करो
रेत भरी है इन आँखों में आँसू से तुम धो लेना
तारों भरी पलकों की बरसाई हुई ग़ज़लें
हज़ारों शेर मेरे सो गए काग़ज़ की क़ब्रों में
शो'ला-ए-गुल गुलाब शो'ला क्या
अभी राह में कई मोड़ हैं कोई आएगा कोई जाएगा
तुम्हारे घर के सभी रास्तों को काट गई
गले में उस के ख़ुदा की अजीब बरकत है
बहुत दिनों से मिरे साथ थी मगर कल शाम