कोई फूल सा हाथ काँधे पे था
मिरे पाँव शो'लों पे जलते रहे
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वो चाँदनी का बदन ख़ुशबुओं का साया है
शबनम के आँसू फूल पर ये तो वही क़िस्सा हुआ
चाय की प्याली में नीली टेबलेट घोली
अगर तलाश करूँ कोई मिल ही जाएगा
बहुत दिनों से मिरे साथ थी मगर कल शाम
कभी यूँ भी आ मिरी आँख में कि मिरी नज़र को ख़बर न हो
उदास रात है कोई तो ख़्वाब दे जाओ
हयात आज भी कनीज़ है हुज़ूर-ए-जब्र में
मैं बोलता हूँ तो इल्ज़ाम है बग़ावत का
जब रात की तन्हाई दिल बन के धड़कती है
हमारा दिल सवेरे का सुनहरा जाम हो जाए