महक रही है ज़मीं चाँदनी के फूलों से
ख़ुदा किसी की मोहब्बत पे मुस्कुराया है
Ahmad Faraz
Javed Akhtar
Jaun Eliya
Wasi Shah
Rahat Indori
Gulzar
Allama Iqbal
Mir Taqi Mir
Habib Jalib
Faiz Ahmad Faiz
Mohsin Naqvi
Anwar Masood
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(1360) Peoples Rate This
तुम मोहब्बत को खेल कहते हो
दिल की बस्ती पुरानी दिल्ली है
काग़ज़ में दब के मर गए कीड़े किताब के
अजब चराग़ हूँ दिन रात जलता रहता हूँ
मुख़ालिफ़त से मिरी शख़्सियत सँवरती है
इक शाम के साए तले बैठे रहे वो देर तक
इसी लिए तो यहाँ अब भी अजनबी हूँ मैं
कमरे वीराँ आँगन ख़ाली फिर ये कैसी आवाज़ें
ये ज़ाफ़रानी पुलओवर उसी का हिस्सा है
किसी ने चूम के आँखों को ये दुआ दी थी
सुनाते हैं मुझे ख़्वाबों की दास्ताँ अक्सर
जी बहुत चाहता है सच बोलें