मैं बोलता हूँ तो इल्ज़ाम है बग़ावत का
मैं चुप रहूँ तो बड़ी बेबसी सी होती है
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तहज़ीब के लिबास उतर जाएँगे जनाब
बहुत दिनों से है दिल अपना ख़ाली ख़ाली सा
कहाँ आँसुओं की ये सौग़ात होगी
फूलों में ग़ज़ल रखना ये रात की रानी है
घर नया बर्तन नए कपड़े नए
सोए कहाँ थे आँखों ने तकिए भिगोए थे
शो'ला-ए-गुल गुलाब शो'ला क्या
बहुत दिनों से मिरे साथ थी मगर कल शाम
दिन में परियों की कोई कहानी न सुन
हाथ में चाँद जहाँ आया मुक़द्दर चमका
सुनाते हैं मुझे ख़्वाबों की दास्ताँ अक्सर
यारो नए मौसम ने ये एहसान किए हैं