न तुम होश में हो न हम होश में हैं
चलो मय-कदे में वहीं बात होगी
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अच्छा तुम्हारे शहर का दस्तूर हो गया
ख़ुदा हम को ऐसी ख़ुदाई न दे
सँवार नोक-पलक अबरुओं में ख़म कर दे
होंटों पे मोहब्बत के फ़साने नहीं आते
फ़लक से चाँद सितारों से जाम लेना है
अभी राह में कई मोड़ हैं कोई आएगा कोई जाएगा
आशिक़ी में बहुत ज़रूरी है
सर झुकाओगे तो पत्थर देवता हो जाएगा
कई सितारों को मैं जानता हूँ बचपन से
वो चाँदनी का बदन ख़ुशबुओं का साया है
दुश्मनी का सफ़र इक क़दम दो क़दम
वो जिन के ज़िक्र से रगों में दौड़ती थीं बिजलियाँ