फूल बरसे कहीं शबनम कहीं गौहर बरसे
और इस दिल की तरफ़ बरसे तो पत्थर बरसे
Rahat Indori
Parveen Shakir
Wasi Shah
Habib Jalib
Ahmad Faraz
Mir Taqi Mir
Anwar Masood
Allama Iqbal
Gulzar
Jaun Eliya
Faiz Ahmad Faiz
Mohsin Naqvi
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(1021) Peoples Rate This
पत्थर के जिगर वालो ग़म में वो रवानी है
कई साल से कुछ ख़बर ही नहीं
दुआ करो कि ये पौदा सदा हरा ही लगे
अगर तलाश करूँ कोई मिल ही जाएगा
अगर फ़ुर्सत मिले पानी की तहरीरों को पढ़ लेना
नए दौर के नए ख़्वाब हैं नए मौसमों के गुलाब हैं
मान मौसम का कहा छाई घटा जाम उठा
ये परिंदे भी खेतों के मज़दूर हैं
भीगी हुई आँखों का ये मंज़र न मिलेगा
हक़ीक़तों में ज़माना बहुत गुज़ार चुके
जब तक निगार-ए-दाश्त का सीना दुखा न था
बे-तहाशा सी ला-उबाली हँसी