ऐसा हुआ कि घर से न निकला तमाम दिन
जैसे कि ख़ुद से आज कोई काम था मुझे
Habib Jalib
Jaun Eliya
Gulzar
Mohsin Naqvi
Javed Akhtar
Allama Iqbal
Anwar Masood
Mir Taqi Mir
Ahmad Faraz
Faiz Ahmad Faiz
Parveen Shakir
Rahat Indori
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(985) Peoples Rate This
हम से भली चाल चली चाँदनी
जिस्म में ख़्वाहिश न थी एहसास में काँटा न था
मैं बंद कमरे की मजबूरियों में लेटा रहा
अब तक तो यही पता नहीं है
नाम उस का
बदन के लोच तक आज़ाद है वो
उन की गोद में सर रख कर जब आँसू आँसू रोया था
एआद-ए-हिकायतें
जो दिल में उस को बसाए वो और कुछ न करे
वो: एक
प्यार है वो
यूँ न जान अश्क हमें जो गया बाना न मिला