इश्क़ की दुनिया में इक हंगामा बरपा कर दिया

इश्क़ की दुनिया में इक हंगामा बरपा कर दिया

ऐ ख़याल-ए-दोस्त ये क्या हो गया क्या कर दिया

ज़र्रे ज़र्रे ने मिरा अफ़्साना सुन कर दाद दी

मैं ने वहशत में जहाँ को तेरा शैदा कर दिया

तूर पर राह-ए-वफ़ा में बो दिए काँटे कलीम

इश्क़ की वुसअत को मस्दूद-ए-तक़ाज़ा कर दिया

बिस्तर-ए-मशरिक़ से सूरज ने उठाया अपना सर

किस ने ये महफ़िल में ज़िक्र-ए-हुस्न-ए-यक्ता कर दिया

चश्म-ए-नर्गिस जा-ए-शबनम ख़ून रोएगी नदीम

मैं ने जिस दिन गुलसिताँ का राज़ इफ़्शा कर दिया

क़ैस ये मेराज-ए-उल्फ़त है कि एजाज़-ए-जुनूँ

नज्द के हर ज़र्रे को तस्वीर-ए-लैला कर दिया

मुद्दआ-ए-दिल कहूँ 'एहसान' किस उम्मीद पर

वो जो चाहेंगे करेंगे और जो चाहा कर दिया

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