हौज़ में गिर पड़ा गुलाब का फूल
पास लाने से दूर जाता है
जैसे मुद्दत में मिलने वाले का
नाम मुश्किल से याद आता है
Habib Jalib
Rahat Indori
Javed Akhtar
Jaun Eliya
Wasi Shah
Faiz Ahmad Faiz
Mir Taqi Mir
Allama Iqbal
Mohsin Naqvi
Parveen Shakir
Ahmad Faraz
Gulzar
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(819) Peoples Rate This
बला से कुछ हो हम 'एहसान' अपनी ख़ू न छोड़ेंगे
दिल की शगुफ़्तगी के साथ राहत-ए-मय-कदा गई
मिरे मिटाने की तदबीर थी हिजाब न था
मरने वाले फ़ना भी पर्दा है
न जाने मोहब्बत का अंजाम क्या है
मुफ़्लिसी के वक़्त अक्सर इशरत-ए-रफ़्ता की याद
ये उजालों के जज़ीरे ये सराबों के दयार
कौन देता है मोहब्बत को परस्तिश का मक़ाम
जब किसी की याद आ कर तिलमिला जाता है दिल
हम-नशीं उफ़ इख़्तिताम-ए-बज़्म-ए-मय-नोशी न पूछ
न सियो होंट न ख़्वाबों में सदा दो हम को
हम हक़ीक़त हैं तो तस्लीम न करने का सबब