जो इश्क़ चाहता है वो होना नहीं है आज
ख़ुद को बहाल करना है खोना नहीं है आज
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ख़ुद-आगही
मेरी इक उम्र और इक अहद की तारीख़ रक़म है जिस पर
क्या बदन है कि ठहरता ही नहीं आँखों में
हमारी आँखों में बस गया है अजीब पंजाब आँसुओं का
सब लज़्ज़तें विसाल की बेकार करते हो
मैं शहरी हूँ मगर मेरी बयाबानी नहीं जाती
हमवारी
तुझे ख़बर हो तो बोल ऐ मिरे सितारा-ए-शब
मैं जब कभी उस से पूछता हूँ कि यार मरहम कहाँ है मेरा
हम न प्यासे हैं न पानी के लिए आए हैं
समुंदर
दुनिया को कहाँ तक जाना है