अच्छी-ख़ासी रुस्वाई का सबब होती है
दूसरी औरत पहली जैसी कब होती है
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हिन्दोस्तान छोड़ दो
घर की मुश्किल कोई हल चाहती है
जो मरा है हादसे में मिरा उस से क्या था रिश्ता
इश्क़ झेला है तो चेहरा ज़र्द होना चाहिए
कैसे आता है दबे पाँव गुनाहों का ख़याल
दिया जला के कोई चाँद पर रखा होगा
या तो तारीख़ की अज़्मत से लिपट कर सो जा
बग़ैर नक़्शे के सारे मकान लगते हैं
आँख और नींद के रिश्ते मुझे वापस कर दे
समुंदर सर पटक कर मर रहा था
मा'सूमा