मकड़ी ने कहानी का बुना है जाला
फिर आएगा शायद कोई दिल लूटने वाला
जितने भी मधुर ख़्वाब दुखाए कोई इस को
औरत ही को पीना है मगर ज़हर का प्याला
Wasi Shah
Faiz Ahmad Faiz
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एयर-होस्टेस
ख़िज़ाँ में चीनी चाय की दावत
वाईपर
इश्क़ किया तो अपनी ही नादानी थी
जो मरा है हादसे में मिरा उस से क्या था रिश्ता
या तो तारीख़ की अज़्मत से लिपट कर सो जा
अलमिया-ए-नक़्द
कॉपीराइट
घर की मुश्किल कोई हल चाहती है
गर्म हवा
ये दिल माँगे मोर
ख़र्च जब हो गई जज़्बों की रक़म आप ही आप