एक ही ख़्वाब ने सारी रात जगाया है
मैं ने हर करवट सोने की कोशिश की
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आँखों में जल रहा है प बुझता नहीं धुआँ
बे-ख़ुदी
तुम्हारे ख़्वाब से हर शब लिपट के सोते हैं
ये दिल भी दोस्त ज़मीं की तरह
बे-सबब मुस्कुरा रहा है चाँद
सब्र हर बार इख़्तियार किया
जब भी आँखों में अश्क भर आए
घुटन
कोई ख़ामोश ज़ख़्म लगती है
हम ने अक्सर तुम्हारी राहों में
एक सन्नाटा दबे-पाँव गया हो जैसे
दस्तक