जिस की आँखों में कटी थीं सदियाँ
उस ने सदियों की जुदाई दी है
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चम्पई धूप
वो उम्र कम कर रहा था मेरी
तुम्हारे ख़्वाब से हर शब लिपट के सोते हैं
बर्फ़ पिघलेगी
नज़्म
तिनका तिनका काँटे तोड़े सारी रात कटाई की
किनारे पर कोई आया था
दिन कुछ ऐसे गुज़ारता है कोई
मैं चुप कराता हूँ हर शब उमडती बारिश को
यादों की बौछारों से जब पलकें भीगने लगती हैं
कल का हर वाक़िआ तुम्हारा था
आदमी बुलबुला है