ख़ुशबू जैसे लोग मिले अफ़्साने में
एक पुराना ख़त खोला अनजाने में
Parveen Shakir
Gulzar
Rahat Indori
Allama Iqbal
Jaun Eliya
Mohsin Naqvi
Javed Akhtar
Habib Jalib
Anwar Masood
Faiz Ahmad Faiz
Mir Taqi Mir
Wasi Shah
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
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दिन कुछ ऐसे गुज़ारता है कोई
अपने माज़ी की जुस्तुजू में बहार
कहीं तो गर्द उड़े या कहीं ग़ुबार दिखे
काँच के पार तिरे हाथ नज़र आते हैं
घुटन
कंधे झुक जाते हैं
ज़िंदगी यूँ हुई बसर तन्हा
धूप लगे आकाश पे जब
स्केच
कल का हर वाक़िआ तुम्हारा था
सहमा सहमा डरा सा रहता है