रुके रुके से क़दम रुक के बार बार चले
क़रार दे के तिरे दर से बे-क़रार चले
Wasi Shah
Javed Akhtar
Mir Taqi Mir
Gulzar
Faiz Ahmad Faiz
Habib Jalib
Ahmad Faraz
Anwar Masood
Rahat Indori
Mohsin Naqvi
Jaun Eliya
Allama Iqbal
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आप के बा'द हर घड़ी हम ने
आँखों से आँसुओं के मरासिम पुराने हैं
समय
एक सन्नाटा दबे-पाँव गया हो जैसे
तख़्लीक़
कहीं तो गर्द उड़े या कहीं ग़ुबार दिखे
नज़्म
घुटन
वक़्त-2
जब भी आँखों में अश्क भर आए
कोई अटका हुआ है पल शायद
कंधे झुक जाते हैं