सहमा सहमा डरा सा रहता है
जाने क्यूँ जी भरा सा रहता है
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सीलन
कितनी लम्बी ख़ामोशी से गुज़रा हूँ
आइना देख कर तसल्ली हुई
इमेजेज़
देर से गूँजते हैं सन्नाटे
लिबास
आदतन तुम ने कर दिए वादे
ये दिल भी दोस्त ज़मीं की तरह
आँखों के पोछने से लगा आग का पता
रुके रुके से क़दम रुक के बार बार चले
ख़ुशबू जैसे लोग मिले अफ़्साने में
जब भी ये दिल उदास होता है