ये शुक्र है कि मिरे पास तेरा ग़म तो रहा
वगर्ना ज़िंदगी भर को रुला दिया होता
Anwar Masood
Gulzar
Habib Jalib
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Mir Taqi Mir
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एक दौर
एक और रात
हाथ छूटें भी तो रिश्ते नहीं छोड़ा करते
ऐसा ख़ामोश तो मंज़र न फ़ना का होता
एक ही ख़्वाब ने सारी रात जगाया है
मकान
रूह देखी है कभी!
इमेजेज़
घुटन
रुके रुके से क़दम रुक के बार बार चले